1 से 5 सप्ताह के गर्भावस्था के लक्षण - 1 to 5 Week Pregnancy Symptoms

Brijesh Yadav
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1 से 5 सप्ताह के गर्भावस्था के लक्षण - 1 to 5 Week Pregnancy Symptoms
1 से 5 सप्ताह के गर्भावस्था के लक्षण - 1 to 5 Week Pregnancy Symptoms 

सामान्य तौर पर पीरियड (Period) यानि कि माहवारी न आना संकेत होता है कि गर्भ धारण हो चुका है और आप गर्भवती हैं। लेकिन ज्यादातर महिलाओं का या तो अनियमित पीरियड्स के चलते गलतफहमी रहती हैं कि वो प्रेग्नेंट हैं या नहीं या  फिर उन्‍हें इसका तब पता चलता है जब वे 10 हफ्ते या इससे ज्‍यादा समय से प्रेग्‍नेंट होती हैं। लेकिन इस विषय में डॉक्टर्स का कहना है कि संबंध बनाने के दौरान अगर अंडा निषेचित हो जाता है तो यह गर्भाशय से जुड़ जाता है और महिला के शरीर में ह्यूमन कोरियोनिक गॉनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हार्मोन बनना शुरू कर देता है। माना जाता हैकि ये प्रक्रिया 10-15 दिन बाद होना शुरू होती है। HCG हार्मोन का बनना प्रेगनेंसी (Pregnancy) के दौरान शुरू हो जाता है लेकिन ये प्रक्रिया प्रेगनेंसी के ग्यारहवें हफ्ते के दौरान रुक भी सकता है। इसीलिए यही वो समय होता है जब महिलाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (Pregnancy Symptoms) साफ तौर पर दिखने लगते हैं। 


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1 से 5 सप्ताह के गर्भावस्था के लक्षण - 1 to 5 Week Pregnancy Symptoms

बहुत सी महिलाओं को ये पता नहीं चल पता है कि वो वास्तव में प्रेगनेंट है या ये नॉर्मल पीरियड मिस हुआ है। इस अभाव में आप न तो यह जानते हैं कि क्या खाना है, क्या सावधानियां बरतनी है। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) का एहसास हर महिला के लिए सबसे अहम पल माना जाता है। इसकी जांच के लिए बाजार में कई सारी दवाइयों के साथ ही उपकरण भी मौजूद हैं। हालांकि, ये तमाम चीजें गर्भ ठहरने के पहले महीने (गर्भावस्था के सप्ताह) से ही दी जाने लगती हैं। इसीलिए प्रेग्नेंट होने के लक्षण पहचाने बेहद जरूरी है ताकि आप सही समय पर सही खान-पान व दवाईयां ले सकें। यहां हम आपको मुख्य 1 से 5 सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षणों (pregnancy signs) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी गर्भवती होने वाली हर महिला को होनी चाहिए


पहले सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण - Symptoms of first week of Pregnancy


गर्भावस्था (Pregnancy) का पहला सप्ताह ज्यादातर महिलाओं को किसी भी तरह के कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं। वहीं आमतौर पर पहले सप्ताह से गर्भवती महिलाएं अंजान ही होती हैं। बता दें कि माहवारी बंद होने को गर्भावस्था का लक्षण माना जाता है और यही पहले सप्ताह की गर्भावस्था का मुख्य लक्षण (Pregnancy Symptoms in first week) है। पहले सप्ताह (1 Week of Pregnancy) में महिला के शरीर में बहुत से बदलाव चल रहे होते हैं। इसमें भ्रूण बनने की प्रक्रिया की शुरुआत होती है। जिसकी वजह से जी मचलना, उल्टी आना या फिर थकान महसूस होने जैसे लक्षण आमतौर पर दिखने लगते हैं। इस समय मुंह का स्वाद भी बदल जाता है। किसी भी खाई गई चीज के स्वाद का पता नहीं चलता है, सिर्फ अधिक खट्टी चीजों के स्वाद का ही पता चल पाता है।

टिप्स – पहले सप्ताह में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता लेकिन फिर भी महिला को अपने खान- पान में सुधार कर लेना चाहिए। महिला को अपनी दिनचर्या सही कर लेनी चाहिए। यानि कि हर चीज समय पर। बासी खाना या फिर पैकेज्ड फूड खाने से बचें।


दूसरे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण - Second week Pregnancy Symptoms


गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह के (Pregnancy in 2 week) दौरान  दूसरे सप्ताह में डिम्ब गर्भाशय से निकलने और निषेचित होने के लिए तैयार होता है। निषेचित डिम्ब को स्वीकार करने के लिए आपका गर्भाशय बड़ा होने लगता है। दो सप्ताह की गर्भावस्था के समय आप समान लक्षणों का अनुभव करेंगी जैसा मासिक धर्म के दौरान करती हैं और अन्य लक्षणों में कुछ यह भी शामिल हो सकते हैं, जैसे स्तन मे दर्द, कमर में हल्का दर्द और थकान होना।प्रेगनेंसी के दूसरे सप्ताह (2 Week of Pregnancy) में गर्भधारण यानी के प्रेगनेंसी के पहले सप्ताह में जो बदलाव शुरू होते है वे बदलाव दूसरे हफ्ते में भी मौजूद रहते हैं। इस समय गर्भवती महिला के ब्रेस्ट में हल्की सूजन आने लगती है जिससे उनके आकार में फर्क नज़र आने लगता है। स्तन मुलायम व संवेदनशील हो जाते हैं।

टिप्स – अपनी प्रेगनेंसी (Pregnancy) को कन्फर्म करने लिए आप स्त्री विशेषज्ञ का सहारा ले सकती हैं या फिर किसी मेडिकल स्टोर से होम प्रेगनेंसी किट खरीद सकती हैं और अपनी प्रेगनेंसी कंफर्म कर सकती हैं।

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तीसरे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण - Symptoms of third week of Pregnancy

प्रेगनेंसी के तीसरे सप्ताह (3 Week of Pregnancy) में महिला को दूसरे हफ्ते के मुकाबले अब अपने शरीर में ज्यादा बदलाव दिखाई देने लगते हैं। अब आंतरिक बदलाव के साथ साथ बाहरी बदलाव भी होने लगते है। इन बदलावों और लक्षणों को अक्सर कई बार गर्भवती महिलाएं पहचान नहीं पातीं है। गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते में भी सामान्य लक्षण (Pregnancy Symptoms in 3 Week) ही दिखाई देते हैं। लेकिन खुशखबरी की बात ये है कि तीसरे सप्ताह के दौरान आपका शिशु तेज़ी से द्विगुणित होती जा रहीं सैकड़ों कोशिकाओं के साथ एक छोटी सी गेंद के समान हो जाता है। इस छोटी गेंद, जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं वो आगे जाकर गर्भनाल के रूप में बदल जाता है। इस सप्ताह में गर्भावस्था के हार्मोन(HCG) का निर्माण शुरू कर देता है। इस समय कई महिलाएं मूड स्विंग और अपने चाल-ढाल में परिवर्तन महसूस करती हैं। साथ ही स्पॉटिंग भी होती है, जिसमें पीरियड (Period) की तरह खून नहीं आता बल्कि खून के दाग या धब्बे से दिखाई देते हैं। लेकिन ऐसा सभी महिलाओं के साथ नहीं होता है। 

टिप्स – इस दौरान डॉक्टर के सपंर्क में रहें और बिना परामर्श के किसी भी तरह का कोई कदम न उठाएं।


चौथे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण - 4th week Pregnancy Symptoms

गर्भधारण करने के चौथे सप्ताह (4 Week of Pregnancy) से जी मिचलाने की समस्या होने लगती है। ये वो समय होता है जब गर्भाशय मेंभ्रूण के आरोपण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी होती है। इस समय पूरी तरह से आप गर्भवती हो चुकी है, आपको थोड़ा काम करने पर ही थकानमहसूस होने लगती है आप में चिड़चिड़ापन आने लगता है। चौथे सप्ताह में भ्रूण का आकार कबूतर के अंडे का आकार का होता है। चौथे हफ्ते मेंफर्टिलाइज्ड अंडा यूटेरस तक पहुंच जाता है और करीब 72 घंटे के बाद यह भूर्ण यूटेरस लाइनिंग में अपने लिए जगह बना लेता है। यूटेरसलाइनिंग की रक्त कोशिकाओं के अंडे को स्पर्श करने पर अंडे का विकास शुरू हो जाता है। प्रेगनेंसी के दूसरे महीने से उल्टी आने के लक्षण बढ़नेलगते हैं, जो 12 से 18 हफ्ते तक चलते हैं। कुछ महिलाओं में तो ये समस्या डिलीवरी होने तक जैसी की तैसी ही बनी रहती है। प्रेगनेसी के दौरान उल्टी होना स्वाभाविक होता है लेकिन अगर यह ज्यादा होने लगे तो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इस दौरान डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

टिप्स – बेहतर होगा कि इस समय डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें।


पांचवे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण - fifth week Pregnancy Symptoms

गर्भावस्था के पांचवे सप्ताह (Pregnancy in 5 week) की बात करें तो गर्भवती महिला को ये एहसास होने लगता है कि वो प्रेग्नेंट है। उसे अपने शरीर में एक-दो नहीं बल्कि ढेरों बदलाव महसूस होने लगते है। गर्भ ठहरने के पांचवे सप्‍ताह से गर्भावस्‍था के दूसरे महीने की शुरुआत होती है। गर्भावस्था के पांचवें सप्ताह(5 Week of Pregnancy) में भूर्ण एक रेत के कण के बराबर का होता है। इस सप्‍ताह में आते ही प्रेगनेंसी के कुछ लक्षणों (प्रेगनेंसी के लक्षण इन फर्स्ट वीक) से राहत मिल सकती है तो कुछ नए लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। ये वो समय है जब गर्भाधारण को 1 महीना पूरा हो चुका होता है और महिला को पूरी तरह से महसूस होने लगता है कि वो गर्भवती है। इस समय हार्मोन लेवल तेजी से बढ़ रहा होता है, जिसकी वजह से जी मचलाना, घबराहट होना और उल्टियां करना बेहद आम प्रेगनेंसी के लक्षण होते हैं। डॉक्टर्स की मानें तो यह समय किसी भी महिला के लिए बेहद मुश्किल भरे होते हैं। इसीलिए खाने-पीने से लेकर गर्भवती महिला को हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना होता है ताकि प्रेगनेंसीकी पहली तिमाही आराम से कट जाये। इस समय अपनी खान-पान की आदतों में ज़रूरी सुधार करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेकर प्रेगनेंसी डाइट चार्ट बनाएं। हमेशा सकारात्मक सोचें और खुश रहने की कोशिश करें। 

टिप्स – अब आप अपने होंने वाले बच्चे के स्वास्थ्य से संबंधित जरूरी आहार का ही सेवन करना शुरू कर दें और अगर आप आप धूम्रपान या शराब आदि का सेवन करती हैं तो इसे बंद कर दें।



प्रेगनेंसी जैसे लक्षण दिखने के अन्य कारण

अगर किसी महिला के पीरियड्स सामान्य दिनों की तरह नियमित रूप से न आएं, तो इस स्थिति में दिखने वाले लक्षणों को प्रेगनेंसी मान लेना सही नहीं है। जी हां, जब तक प्रेगनेंसी टेस्ट के माध्यम से ये न पता चल जाएं कि आप गर्भवती है तब तक खुद प्रेगनेंट समझना ना समझी है। क्योंकि आजकल की बदलते लाइफस्टाइल में लोगों की खाने की आदतों में इतना बदलाव आ चुका है कि पीरियड्स का कुछ समय के लिए बंद हो जाना या अनियमित पीरियड्स की समस्या होना आज आम हो गया है। लेकिन इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है। प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड्स में देरी होने के कुछ सामान्य कारण भी हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन से हैं वो कारण, जिसमें गर्भवती न होने के बाद भी प्रेग्नेंट(Pregnant) होने के लक्षण जैसे महसूस होते हैं

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पीसीओडी या पीसीओएस - (PCOD or PCOS)

पीरियड्स लेट आने का एक कारण पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओडी (PCOD) यानि पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डरभी हो सकता है। बदलते लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं में होने वाली एक तरह की हॉर्मोनल गड़बड़ी है। यह समस्या होने पर चेहरे व छातीपर बाल उगने लगते हैं और वजन भी बढ़ने लगता है। आजकल कम उम्र में ही महिलाएं इस बीमारी की शिकार हो रही हैं। इसके लिए जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेना बेहद जरूरी है, नहीं तो इस समस्या के चलते हेयर फॉल, शुगर, बच्चा ना होना और दिल के रोग भी हो सकते हैं।


वजन बढ़ना

अगर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है या कुछ दिनों से आप शरीर में भारीपन और खुद को फैटी फील कर रहे हैं तो आप मोटापे की गिरफ्त में हैं। और पीरियड्स लेट होने का एक कारण वजन का बढ़ना भी है। दरअसल वजन बढ़ने के कारण शरीर के हॉर्मोन्स सही तरीके से काम नहीं कर पाते जिसकी वजह से पीरियड्स (Period) ना आना या लेट होने की समस्या हो जाती है।


थायरॉइड और क्रोनिक समस्या

अगर किसी महिला को थायरॉइड की समस्या है तब भी पीरियड्स मिस हो सकते हैं। ऐसे में थायरॉइड ग्रंथि का ज्यादा काम करना या कम हार्मोन्स बनाना महिला के शरीर पर विपरीत प्रभाव डालता है। वहीं दूसरी तरफ कोई भी क्रोनिक समस्या हो जैसे लंबे समय तक लीवर या किडनी की समस्या, तब भी पीरियड्स देरी से आते हैं ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।


हार्मोनल असंतुलन

बदलती लाइफस्टाइल से सबसे ज्यादा बदलाव शरीर के हार्मोन्स में आता है जिस वजह से महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनमें से एक अनिमियत पीरियड्स का होनी भी है। दरअसल शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन होने पर भी पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। इससे कई बार 2 महीने या इससे भी ज्यादा समय के बाद पीरियड्स आते हैं।


गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन

गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से या एक साल से ज्यादा समय ये गोलियां लेने की वजह से भी पीरियड्स तीन से चार महीने तक लेट हो जाते हैं या एकदम हल्के भी हो सकते हैं। लेकिन ऐसे में ये समस्या ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहती है।


तनाव

अचानक से डेली रुटीन में बदलाव आने या फिर किसी बात को लेकर मेंटल स्ट्रेस की वजह से भी पीरियड साइकिल गड़बड़ा जाता है। वर्किंगवुमन के साथ ये समस्या ज्यादा दिखाई देती है। 

पीरियड्स लेट आना या मिस होना सामान्य नहीं है अगर आपको भी ऐसी ही समस्या हो तो इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप एक हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं और अच्छी डाइट, एक्सरसाइज, योग द्वारा अपना वजन कंट्रोल में रखें। अगर फिर भी समस्या का समाधान न हो तो डॉक्टर से परामर्श लें।

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